उत्तराखंड: जल संकट का विकराल रूप, क्या होगा गांवों का?

Spread the love

शादी विवाह,पार्टी, जन्मदिन समारोह व किसी भी प्रकार के प्रोग्राम के लिए चौधरी फॉर्म हाउस आपका स्वागत करता है

अमर रेस्टोरेंट की ओर सभी क्षेत्रवासियों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

न्यू Era एकेडमी में एडमिशन हेतु जल्दी संपर्क करें

मोहित अग्रवाल की ओर से सभी प्रदेशवासियों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं

आशा नौटियाल की ओर सभी प्रदेशवासियों को होली एवं नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

यमुना एसोसिएट की ओर से सभी को होली व ईद की हार्दिक शुभकामनाएं

संजय कुमार, पूर्व जिला पंचायत सदस्य की ओर से सभी देश व प्रदेशवासियों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं

पार्षद अभिषेक पंत की ओर से सभी प्रदेशवासियों को होली व नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

जिला अध्यक्ष मीता सिंह की ओर से सभी प्रदेशवासियों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं

सुमित चौधरी नगर पंचायत अध्यक्ष सेलाकुई की और से सभी नगर एवं प्रदेशवासियों को होली नवरात्रि व बैसाखी की हार्दिक शुभकामनाएं

सामाजिक कार्यकर्ता, सतपाल सिंह बुटोला की ओर के सभी क्षेतवासियों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं

पार्षद, संजय सिंघल की ओर से सभी प्रदेशवासियों को होली एवं बैसाखी की हार्दिक शुभकामनाएं

पार्षद, जाहिद अंसारी की ओर से सभी क्षेत्र वासियों को ईद_उल_ फितर बहुत-बहुत मुबारक

डोईवाला/ऋषिकेश- पहाड़ों की गोद में बसा उत्तराखंड, जल संकट की आग में जल रहा है। अखबारों की सुर्खियां हर दिन एक नई कहानी बयां करती हैं – कहीं पानी के लिए मारपीट, कहीं टैंकरों पर लूट, कहीं सूखे नलों की तस्वीरें। देहरादून जिले का ग्राम पुन्नीवाला भी इस संकट से अछूता नहीं है।

जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल, हर घर जल का सपना देख रहे उत्तराखंड के गांवों में आज जल संकट विकराल रूप ले चुका है। पिछले साल की गर्मी के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए इस साल पड़ी अत्यधिक गर्मी ने पानी की कमी को और भी गहरा कर दिया है। देहरादून जिले की ग्राम सभा कौडसी का वार्ड संख्या 5, ग्राम पुन्नीवाला इसका जीता-जागता उदाहरण है।

कभी आसपास के गांवों को पानी देने वाला यह गांव आज खुद प्यास से जूझ रहा है। नल तो हर घर में हैं, लेकिन नलों से पानी नहीं आता। ग्रामीणों का कहना है कि इस समस्या को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई गई, लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है।

यह स्थिति केवल पुन्नीवाला तक ही सीमित नहीं है। उत्तराखंड के कई अन्य गांवों में भी ऐसी ही स्थिति है। जल संकट इतना गहरा हो चुका है कि लोगों को पीने के पानी के लिए किलोमीटरों दूर जाना पड़ रहा है। कई गांवों में पशुओं के लिए भी पानी की कमी हो रही है।

अगर यही हाल रहा, तो आने वाले समय में जलदान की जरूरत पड़ सकती है, जैसे रक्तदान आज किया जाता है। यह सोचना भी भयानक है कि पानी के लिए लोगों को एक दूसरे पर निर्भर रहना पड़ेगा।

डोईवाला महाविद्यालय के पूर्व विश्वविद्यालय प्रतिनिधि, अधिवक्ता अंकित तिवारी ने कहा कि आने वाले समय में जलदान की आवश्यकता पड़ सकती है।उन्होंने कहा कि जल संकट की गंभीरता को देखते हुए, यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि आने वाले समय में हमें “जलदान” की भी आवश्यकता हो सकती है।

जैसे आज हम रक्तदान करते हैं, वैसे ही हमें जरूरतमंदों को पानी भी दान करना पड़ सकता है। यह सोचने में भी डर लगता है, लेकिन यह एक कड़वी सच्चाई है जिसका सामना हमें करना पड़ सकता है। हमें अभी से सचेत हो जाना चाहिए और जल संरक्षण के लिए मिलकर प्रयास करने चाहिए।

447 Views

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *