सुमित चौधरी की ओर से समस्त क्षेत्रवासियों को दीपावली, धनतेरस, गोवर्धन पूजा और भाईदूज की हार्दिक शुभकामनाएं
प्रधान कोमल देवी की ओर से सभी प्रदेशवासियों को दीपावली, धनतेरस, गोवर्धन पूजा और भैयादूज की हार्दिक शुभकामनाएं
K.J ज्वैलर्स की ओर से सभी क्षेत्रवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
K.J ज्वैलर्स की ओर से सभी क्षेत्रवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
श्री बालाजी पेट्रोल पंप की ओर से सभी क्षेत्रवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
शादी विवाह,पार्टी, जन्मदिन समारोह व किसी भी प्रकार के प्रोग्राम के लिए चौधरी फॉर्म हाउस आपका स्वागत करता है
युवा मोर्चा मंडल अध्यक्ष शिवा रावत की ओर से सभी प्रदेशवासियों को उत्तराखंड स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
यशपाल नेगी व खेमलता नेगी की ओर से सभी प्रदेशवासियों को उत्तराखंड स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
युवा मोर्चा मंडल अध्यक्ष शिवा रावत की ओर से सभी प्रदेशवासियों को उत्तराखंड स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
देहरादूनः उत्तराखंड राज्य महिला आयोग के कार्यालय में एक पीड़िता न्याय की गुहार लगाते हुए पहुंची जिसने जानकारी में बताया कि उसके पति द्वारा उसके दो वर्ष के बच्चे को उससे दूर कर दिया गया है। वह पिछले एक हफ्ते से अपने बच्चों से मिलने के लिए तड़प रही है परंतु उसके पति द्वारा उसको उसके बच्चे से नहीं मिलाया जा रहा है।
पीड़िता ने आयोग अध्यक्ष के समक्ष न्याय की गुहार लगाते हुए जानकारी में बताया कि आपसी कलह के कारण पति द्वारा इस प्रकार के घटना को अंजाम दिया गया। मेरा बच्चा अभी 2 साल का भी पूरा नही हुआ है जिसे माँ के दूध की अत्यंत आवश्यकता है, परंतु मेरा पति मुझे मेरे बच्चे से मिलने नहीं दे रहा है। मेरा पति 31 मई को मुझसे मेरा बच्चा चुपचाप छिपा कर कहि ले गया है और इतने दिनों से मुझे मेरे बच्चे से नही मिलाया जा रहा है।
मामले में आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने त्वरित कार्यवाही करते हुए एसपी देहरादून को निर्देशित किया है कि शीघ्र अतिशीघ्र उक्त पीड़ित मां को उसका बच्चा सकुशल वापिस दिलाया जाए ताकि उसकी माँ उसे स्तनपान करा सके, जो कि बच्चे का भी अधिकार है और पीड़ित माँ का भी।
उन्होंने कहा की हिंदू अल्पसंख्यक और संरक्षकता अधिनियम, 1956 के सेक्शन 6 के अनुसार, 5 वर्ष से कम आयु के हिंदू बच्चे को माता की देखरेख में रखा जाता है क्योंकि इस उम्र में केवल माँ ही बच्चे को उचित भावनात्मक, शारीरिक, नैतिक सहारा दे सकती है। कानून व अधिकारों के अनुसार 7 वर्ष से कम आयु के बच्चे को कोई भी उसकी माँ से अलग नही कर सकता है और हमारा कानून इस अपराध की अनुमति नही देता है।