बस्तियों को उजाड़ने के खिलाफ और बस्तियों के नियमतीकरण की मांग को लेकर निकाला जुलूस, सौंपा ज्ञापन

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सुमित चौधरी, पूर्व जिला पंचायत सदस्य की ओर से सभी प्रदेशवासियों को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं

माला गुरुंग, प्रधान कारबारी की ओर से सभी देशवासियों को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं

रिहाना खातून, जिला पंचायत सदस्य और शहबान अली प्रधान पति की ओर से सभी देशवासियों को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं

विजयपाल सिंह बर्तवाल, वरिष्ठ कार्यकर्ता भाजपा की ओर से सभी देशवासियों को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं

उत्तराखंड में बस्तियों को उजाड़ने के खिलाफ तथा बस्तियों के नियमतीकरण की मांग को लेकर बड़ी संख्या में राजनैतिक दलों,सामाजिक संगठनों जिसमें सीआईटीयू ,एटक ,इंटक ,सीपीएम ,सपा ,आयूपी ,बसपा ,किसान सभा ,एस एफ आई ,पीएसएम ,बीजीवीएस से जुड़े कार्यकर्ता एक हो गए है। इन्होंने बस्ती प्रभावितों के साथ मिलकर जलूस की शक्ल में शहरी विकास मन्त्री आवास का घेराव किया तथा उनके पीआरओ  ताजैन्द्र नैगी को शहरी विकास मन्त्री के नाम ज्ञापन सौंपा । उन्होंने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया वह एक दो दिन में माननीय मन्त्री से वार्ता करेंगे ।

जन संगठनों एवं राजनीतिक दलों द्वारा उपरोक्त सन्दर्भ में पिछले काफी दिनों से आपसे समय देने का अनुरोध किया किन्तु समय न मिलने के कारण आज आपके निवास पर प्रभावितों की अति आवश्यक समस्याओं एवं बस्तियों के नियमतीकरण के लिये तत्काल कानून लाने के लिए प्रदर्शन के माध्यम से आपको ज्ञापन देना पड़ रहा है ताकि सरकार अपने वादे के अनुसार कार्यवाही कर सके ।

मान्यवर ,हाल में देहरादून में प्रशासन /नगरनिगम /एमडीडीए अतिक्रमण हटाने के नाम पर एक ध्वस्तीकरण अभियान चला रहा है।  इस अभियान में कानून के प्रावधानों और संविधान के मूल्यों का घोर उल्लंघन हो रहा है। इस संदर्भ में हम आपके संज्ञान में कुछ बिंदुओं को लाना चाह रहे हैं :–
(1)  मज़दूरों को न कोई कोठी मिलने वाला है और न ही कोई फ्लैट। 2016 में ही बस्तियों का नियमितीकरण और पुनर्वास के लिए कानून बना था। 2022 तक हर परिवार को घर मिलेगा, यह प्रधानमंत्री जी का आश्वासन था, और 2021 तक सारे बस्तियों का नियमितीकरण या पुनर्वास होगा, यह उत्तराखंड सरकार का क़ानूनी वादा था।  दोनों पर बेहद कम काम हुआ है जिसकी वजह से यह स्थिति आज बनी है। तो इस स्थिति के लिए सरकार पूरी तरह से ज़िम्मेदार है।
(2) बड़ा जन आंदोलन होने के बाद 2018 में अध्यादेश ला कर सरकार ने अध्यादेश में ही धारा लिख दिया कि तीन साल के अंदर बस्तियों का नियमितीकरण या पुनर्वास होगा। वह कानून 2024 में खत्तम होने वाला है।  लेकिन आज तक किसी भी बस्ती में मालिकाना हक़ नहीं मिला है। वह कानून खत्म होने के बाद किसी भी बस्ती को उजाड़ा जा सकता है चाहे वे कभी भी बसे।
(3) बेदखली के लिए क़ानूनी प्रक्रिया है, लेकिन वर्त्तमान अभियान में कानून को ताक पर रख कर मनमानी तरीकों से अनाधिकृत रुप सेअधिकारी लोगों को बेदखल कर रहे हैं।  यह क़ानूनी अपराध है।
(4) देहरादून की नदियों एवं नालियों में होटल, रिसोर्ट, रेस्टोरेंट और अनेक अन्य निजी संस्थानों द्वारा और सरकारी विभागों द्वारा भी  अतिक्रमण हुए हैं।  हरित प्राधिकरण के आदेश में कोई ज़िक्र नहीं है कि कार्यवाही सिर्फ मज़दूर बस्तियों के खिलाफ करना है, लेकिन किसी भी अन्य अतिक्रमणकारी को नोटिस तक नहीं गया है।  इसलिए  यह अभियान न केवल गैर क़ानूनी है बल्कि भेदभावपूर्ण भी है।

सरकार की लापरवाही की वजह से लोग बेघर हो जाये, इससे ज्यादा कोई जन विरोधी नीति नहीं हो सकती है। लेकिन बार बार सरकार कोर्ट के आदेशों का बहाना बना कर लोगों को उजाड़ने की कोशिश कर रही है।  आपकी सरकार आने के बाद यह तीसरी बार हो रही है।

अतः इसलिए आपसे हमारा निवेदन है कि इस गैर क़ानूनी अभियान पर तुरंत रोक लगाया जाये और सरकार अध्यादेश द्वारा तत्काल कानून बना  दे कि बिना पुनर्वास किसी को बेघर नहीं किया जायेगा।  अपने ही वादों के अनुसार सरकार युद्धस्तर पर नियमितीकरण की प्रक्रिया को शुरू कर दे और सभी परिवारों एवं मज़दूरों के लिए किफायती घरों का व्यवस्था पर काम करे।

आशा है कि आप जनहित में उपरोक्त बिन्दुओं एवं मांगों पर प्रभावि कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे ।
हम आपके सदैव आभारी रहेंगे ।

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