ऋषिकेश में माधव सेवा विश्राम केंद्र का इस दिन होगा उद्घाटन, जानें इसकी खासियत

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ऋषिकेश(अंकित तिवारी)- योग और अध्यात्म की नगरी ऋषिकेश में, भाऊ राव देवरस सेवा न्यास द्वारा निर्मित ‘माधव सेवा विश्राम सदन’ न केवल वास्तुशिल्प का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि यह सेवा और सद्भावना का भी प्रतीक है। यह भव्य भवन, जो गंगा से मात्र तीन सौ मीटर की दूरी पर स्थित है, 3 जुलाई को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक  मोहन भागवत द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया जाएगा।

इस भवन का निर्माण पारंपरिक भारतीय स्थापत्य कला के अनुरूप किया गया है, जो इसकी विशेषता को और बढ़ाता है। यहाँ 430 लोगों के ठहरने की व्यवस्था की गई है, जिससे यह एम्स ऋषिकेश में इलाज कराने आने वाले रोगियों, उनके सहायकों और परिजनों के लिए एक आदर्श स्थान बन गया है। पैदल दूरी पर स्थित होने के कारण, यह भवन रोगियों के लिए अत्यंत सुविधाजनक है।

माधव सेवा विश्राम सदन में न केवल ठहरने की बल्कि योग साधना, सत्संग, और बच्चों के खेलने की व्यवस्था भी की गई है। मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यहाँ पुस्तकालय और टीवी लाउंज की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। भोजन कक्ष में एक साथ सौ लोग बैठकर भोजन कर सकते हैं, जिससे सामुदायिक भावना को बल मिलता है।

इस भवन में सुरक्षा और सुविधाओं का भी विशेष ध्यान रखा गया है। आपात स्थिति में अग्नि शमन की व्यवस्था, जल संचयन की व्यवस्था, और दिव्यांगों के लिए अलग से सुविधायुक्त शौचालय का प्रावधान किया गया है। भवन के ऊपरी तलों पर आरामदायक आवागमन के लिए लिफ्ट की सुविधा भी प्रदान की गई है।

भाऊ राव देवरस सेवा न्यास का उद्देश्य आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों की शिक्षा और स्वास्थ्य की आवश्यकताओं को पूरा करना और उनका स्तर सुधारना है। न्यास के माध्यम से समाज के अन्य लोगों के समकक्ष लाने का यह प्रयास सराहनीय है। 1992 में श्रद्धेय भाऊ राव देवरस जी के निधन के पश्चात उनके लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए इस न्यास का गठन किया गया।

अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा स्थापित इस न्यास का मुख्यालय लखनऊ में है और इसका गठन 29 दिसंबर 1993 को हुआ। न्यास ने सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े बंधुओं की शिक्षा और स्वास्थ्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अनेक प्रकल्प प्रारंभ किए हैं।

माधव सेवा विश्राम सदन इस प्रयास का एक जीवंत उदाहरण है, जो न केवल सेवा के क्षेत्र में एक नया मापदंड स्थापित करेगा, बल्कि समाज में सद्भावना और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा देगा। यह भवन न केवल रोगियों और उनके परिजनों के लिए सहारा बनेगा, बल्कि समाज के अन्य वर्गों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
इस लेख के लेखक अंकित तिवारी शोधार्थी, अधिवक्ता एवं पूर्व विश्वविद्यालय प्रतिनिधि हैं

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