देहरादून में दो दिवसीय 20वीं कुरआन प्रदर्शनी का आयोजन, ये सब है खास

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श्री बालाजी पेट्रोल पंप की ओर से सभी क्षेत्रवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

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युवा मोर्चा मंडल अध्यक्ष शिवा रावत की ओर से सभी प्रदेशवासियों को उत्तराखंड स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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देहरादून। तस्मिया ऑल इंडिया एजुकेशनल एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी की ओर से 2-ए टर्नर रोड पर तस्मिया कुरआन संग्रहालय में शनिवार से दो दिवसीय 20वीं ‘कुरआन लेख कला के दर्पण में’ प्रदर्शनी का आगाज़ हो गया है। तस्मिया के संस्थापक डॉ. एस फारूक व जज महबूब अली ने शनिवार को दो दिवसीय 20वीं ‘कुरआन लेख कला के दर्पण में’ का इफत्ताह किया। इस मौके पर महबूब अली ने कहा कि कुरआन इंसानियत का पैगाम़ देता है। आज यहां आकर दिल को बड़ा सुकून मिला। कुरआन की शिक्षा को आम करने और आत्मसात करने की जरूरत है।

तस्मिया कुरआन संग्रहालय में सुरक्षित बेशकीमती कुरआन की पांडुलिपियां, दुनिया का नादिर और बहुमूल्य नुस्खा है, की जयारत करते सिख समुदाय के लोग।इस दौरान संग्रहालय में मौजूद दुनियाभर के कुरआन मजीद व खत्ताती के नमूने आम जनता के दिदार को प्रदर्शित किये जा रहें हैं। तस्मिया कुरआन संग्रहालय में यूं तो पौने दो ग्राम से लेकर ढाई टन तक की कुरआन-ए-करीम मौजूद है, वहीं, इस बार 1487 फीट लंबा और 2 फिट चौड़ा कुरआन भी जियारत के लिये रखा गया है। इसके अलावा 24 फिट लंबी और 12 फीट चौड़ी कुरआन व डॉ. एस फारूक की बहन की ओर से क्रोसिये के माध्यम से लिखी गई कुरआन-ए-करीम भी आर्कषण का केंद्र बनी हुई है। दो दिवसीय प्रर्दशनी सुबह 10 से शाम 5 बजे तक चलेगी।
तस्मिया ऑल इंडिया एजुकेशनल एण्ड सोशल वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. एस. फारूक ( Dr. S., ने बताया कि पवित्र कुरआन 1445 साल पहले नाजिल हुई थी और आज भी उसी तरह है, जैसे तब थी। कहा कि प्रदर्शनी का मकसद कुरआन की इंसानियत का पैगाम़ देने वाली शिक्षा का आम करना है।

‘पवित्र कुरआन लेख कला के दपर्ण में‘ प्रदर्शनी का उद््देश्य यह भी है कि सभी समुदाय के लोग जान सकें कि इस्लाम का पैग़ाम क्या है। जात-बिरादरी जैसी संकीर्णताओं के लिये इंसानियत के बीच कोई जगह नहीं है।तस्मिया कुरआन संग्रहालय में सुरक्षित बेशकीमती कुरआन की पांडुलिपियां, दुनिया का नादिर और बहुमूल्य नुस्खा है, की जयारत करते सिख समुदाय के लोग।प्रदर्शनी में एक सफे (पेज) से लेकर 1286 सफे (पेज) तक का पवित्र कुरआन मौजूद है। इसमें पौने दो ग्राम की कुरआन से लेकर ढाई टन तक का कुरआन मौजूद है।

हिरन, ऊंट व बकरे, भेड़, घोड़ा, मछली, कंगारू, अलपैका, ख़रगोश आदि की खाल के अलावा पत्थर, कपड़े, गिलाफ़-ए-काबा, शीशा, सोना, चांदी पर भी कुरआन की आयतें प्रदर्शनी में नमुदार होती हैं। मुगल बादशाह औरगंजेब से लेकर इराक के बादशाह सद्दाम हुसैन सहित मलेशिया, कुवैत, ईरान, उमान, सूढान, लिबिया आदि मुल्कों के बादशाहों एवं परीजिडेन्ट द्वारा लिखी गई और छपवाई गई कुरआन का यहां दीदार किया जा सकता है। पीतल के पतरों पर लिखी कुरआन भी प्रदर्शन के लिये रखी गई है। प्रदर्शनी में सौ साल से लेकर साढे सात सौ साल तक की कुरआन छपे हुए और हाथ से लिखे हुए मौजूद है।

तस्मिया कुरआन संग्रहालय में हर साल रमजान माह में इस प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है। तस्मिया कुरआन संग्रहालय के संस्थापक डॉ. एस फारूक ने बताया कि इस प्रकार की नुमाइश रूह को और पाक कर देती है। तस्मिया कुरआन संग्रहालय में पवित्र कुरआन के बहुत से नायाब नुस्खे मौजूद हैं। यह बेशकीमती पांडुलिपियां जो तस्मिया कुरआन संग्रहालय में सुरक्षित हैं, दुनिया का नादिर और बहुमूल्य नुस्खा है। मुद्रित और हस्तलिखित कुरआन शरीफ की प्रतियां रमजान के इस मुबारक मौके पर प्रदर्शनी में दिखाने का मकसद यही है कि हम राहे-हिदायत की ओर चले, पुण्य का कार्य करे, यही कुरआन का पैगाम है।शनिवार से शुरू हुई दो दिवसीय 20वीं ‘कुरआन लेख कला के दर्पण में’ प्रदर्शनी में हिस्सा लेने पहुंचे शहर वासी।डॉ. एस फारूक ने बताया कि यहां 750 साल पुरानी पौने दो ग्राम से लेकर ढाई टन तक की कुरआन-ए-करीम देखने को मिलेगी, यकीनन आपने इससे छोटी और बड़ी कुरान पहले कभी नहीं देखी होंगी।

प्रदर्शनी में एक पेज से लेकर, मुगल बादशाह औरगंजेब से लेकर इराक के बादशाह सद्दाम हुसैन सहित मलेशिया, कुवैत, ईरान, उमान, सूडान, लिबिया आदि मुल्कों के बादशाहों द्वारा लिखी गई और छपवाई गई कुरआन, पीतल के पतरों पर लिखी कुरआन, सौ साल से लेकर साढे़ सात सौ साल तक की कुरआन है। जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। आज 23 मार्च 2024 से शुरू हुई प्रर्दशनी में और भी बहुत से नायाब कुरआनी नुस्खे जियारत के लिये रखे गए है। इस मौके पर मुफ्ति सलीम अहमद कासमी, मौलाना रिसालुद्दीन हक्कानी, सजबीर सिंह, मुफ्ति वसीउल्लाह कासमी, मुफ्ति जिया उल हक, डॉ. आदित्य आर्य, फादर जेपी सिंह, शहजादे, सय्यद हारून, केजी बहल, आर के बखशी सहित बड़ी संख्या में कुरआनी नुस्खे की जियारत करने पहुंचे लोग शामिल थे।

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