जल निगम-जल संस्थान संयुक्त मोर्चे के पदाधिकारियों ने मुख्य सचिव से की वार्ता, हुई ये चर्चा

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युवा मोर्चा मंडल अध्यक्ष शिवा रावत की ओर से सभी प्रदेशवासियों को उत्तराखंड स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

यशपाल नेगी व खेमलता नेगी की ओर से सभी प्रदेशवासियों को उत्तराखंड स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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देहरादूनः जल निगम-जल संस्थान संयुक्त मोर्चे के पदाधिकारियों के द्वारा पहले दौर की वार्ता मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से हुई। मोर्चे के संयोजक रमेश विजोला द्वारा बताया गया कि एक सकारात्मक वार्ता मुख्य सचिव से की गई। जिसमें मुख्य सचिव ने वास्तव में उत्तराखण्ड की भौगोलिक परिस्थितियों के मायनजर इस बात को स्वीकार किया कि उत्तराखण्ड पेयजल निगम एवं उत्तराखण्ड जल संस्थान का राजकीयकरण होना आवश्यक है जिससे कि उत्तराखण्ड की जनता को सुचारू रूप से पेयजल की व्यवस्था की जा सके।

वार्ता में यह भी तय किया गया कि जब तक दोनों विभागों का राजकीयकरण किया जाता है तब तक कार्मिकों को वेतन/पेंशन कोषागार से दिया जाये। इस हेतु उनके द्वारा दूरभाष पर पेयजल सचिव से वार्ता कर विषय को तुरंत से वित्त एवं केबिनेट में लिये जाने की बात की गई। उल्लेखनीय है कि शासन द्वारा कोषागार से वेतन/पेंशन आहरित किये जाने हेतु दोनों विभागों से समिति के माध्यम से सहमति मांगी गई थी जिसमें उत्तराखण्ड पेयजल निगम एवं उत्तराखण्ड जल संस्थान के प्रबन्धन द्वारा अपनी सहमति शासन को दे दी गई है।

मोर्च के संयोजक विजय खाली द्वारा बताया गया कि देश के अधिकांश राज्यों में पेयजल एवं सीवरेज व्यवस्था हेतु राजकीय एकीकृत विभाग स्थापित है जबकि उत्तराखण्ड राज्य में पेयजल / सीवरेज की बहुल व्यवस्था होने के कारण जहां एक ओर विभागों में आपसी सामान्जस्य होने का अभाव है. वहीं दूसरी ओर प्रदेश के आम जनमानस में भी भ्रम की स्थिति रहती है कि पेयजल/सीवरेज योजना के निर्माण/ क्रियान्वयन / रखरखाव हेतु किस विभाग (पेयजल निगम/जल संस्थान) से सम्पर्क किया जाये।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 1974 तक तत्कालीन उत्तर प्रदेश राज्य में पेयजल एवं स्वच्छता हेतु स्वायत्त शासन अभियन्त्रण विभाग के नाम से राजकीय विभाग ही था जिसे तत्समय बाह्य साहयतित परियोजना विशेष हेतु निगम में परिवर्तित किया गया था। वर्तमान में बाह्य सहायतित योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु निगम/संस्थान होने की बाध्यता नहीं है। अतः जनहित में उत्तराखण्ड पेयजल निगम व उत्तराखण्ड जल संस्थान का राजकीयकरण किया जाना ही सर्वोत्तम विकल्प है।

मोर्चे के पदाधिकारियों द्वारा दूसरी दौर की वार्ता पेयजल सचिव अरविन्द सिंह ह्यांकी से की गई। यह वार्ता भी सकारात्मक रही जिसमें पेयजल सचिव द्वारा दोनों विभागों के राजकीयकरण हेतु अथक प्रयास किया जा रहा है। पेयजल सचिव द्वारा भी स्पष्ट कहा गया कि सहमति प्राप्त होने पर यह विषय तुरंत से वित्त एवं केबिनेट में पहुंचाया जायेगा। पेयजल सचिव द्वारा उत्तराखण्ड पेयजल निगम एवं उत्तराखण्ड जल संस्थान के प्रबना तंत्र को स्पष्ट किया कि तुरंत से इसपर कार्यवाही कर मोर्वे के प्रस्तावित आदोलन दिनांक 21.06.2024 को स्थगित किये जाने का अनुरोध मोर्चे से किया जायेगा।

मोर्चे के संयोजक विजय खाली द्वारा बताया गया कि अगर शासन में हुई सकारात्मक वार्ता के विषय को शीघ्र वित/केबिनेट में लिया जाता है हो दिनाक 20.06.2024 को मोर्च की बैठक में आआंदोलन के विषय पर संशोधन किया जा सकता है। इस दौरान रमेश विजोला, विजय खाली संयोजक संयोजक , गढ़वाल संयोजक श्याम सिंह नेगी, शिशुपाल सिंह रावत , लक्ष्मी नारायण भट्ट गढ़वाल संयोजक गढ़वाल संयोजक मौजूद रहे।

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