योगी सरकार के बुलडोजर एक्शन पर हाईकोर्ट नाराज, सरकार से मांगा जवाब

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सुमित चौधरी की ओर से समस्त क्षेत्रवासियों को दीपावली, धनतेरस, गोवर्धन पूजा और भाईदूज की हार्दिक शुभकामनाएं

प्रधान कोमल देवी की ओर से सभी प्रदेशवासियों को दीपावली, धनतेरस, गोवर्धन पूजा और भैयादूज की हार्दिक शुभकामनाएं

K.J ज्वैलर्स की ओर से सभी क्षेत्रवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

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श्री बालाजी पेट्रोल पंप की ओर से सभी क्षेत्रवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

शादी विवाह,पार्टी, जन्मदिन समारोह व किसी भी प्रकार के प्रोग्राम के लिए चौधरी फॉर्म हाउस आपका स्वागत करता है

युवा मोर्चा मंडल अध्यक्ष शिवा रावत की ओर से सभी प्रदेशवासियों को उत्तराखंड स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

यशपाल नेगी व खेमलता नेगी की ओर से सभी प्रदेशवासियों को उत्तराखंड स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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लखनऊः सुप्रीम कोर्ट के बाद अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बुलडोजर एक्शन पर सवाल उठाया है. जस्टिस प्रकाश पड़िया की सिंगल बेंच ने इस मामले में सुनवाई करते हुए सवाल उठाया है. उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के एक मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई और उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि ऐसी कौन सी परिस्थिति थी, जिसके चलते कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना याचिकाकर्ता के घर को गिरा दिया गया.

कोर्ट ने इस मामले में यूपी सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है. अब हाई कोर्ट 18 सितंबर को इस मामले में फिर से सुनवाई करेगा. आजमगढ़ के सुनील कुमार ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जमीन विवाद के केस में आजमगढ़ के एडिशनल कलेक्टर ने बिना सुनील का पक्ष सुने, 22 जुलाई को उनका घर गिराने का आदेश जारी कर दिया. इसके बाद प्रशासन ने उनके घर को बुलडोजर से गिरा दिया था. सुनील का आरोप है कि बिना सुनवाई का मौका दिए जल्दबाजी में उनके मकान पर बुलडोजर चला दिया गया.

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
कुछ दिन पहले एक मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि यदि कोई अपराधी भी सिद्ध हो जाता है, तब भी उसका घर नहीं गिराया जा सकता है. यह टिप्पणी जस्टिस हृषिकेश राय, सुधांशु धूलिया और एसवीएन भट्टी की पीठ ने गुजरात के एक मामले में की थी.दो सितंबर को भी कोर्ट ने जमीयत उलमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई के दौरान ऐसी टिप्पणी की थी, उस याचिका में देश के विभिन्न हिस्सों में आरोपितों के घरों पर बिना कानून प्रक्रिया का पालन किए बुलडोजर चलाने की शिकायतें की गई हैं. जिस पर जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा था कि वह इस संबंध में पूरे देश के लिए दिशा-निर्देश तय करेंगे.

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