उत्तराखंड में पहली बार भू कानून और मूल निवास को लेकर किसी मुस्लिम संगठन का भरपूर समर्थन

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विजय सिंह बर्तवाल पूर्व प्रधान नगर पंचायत सेलाकुई की ओर से सभी क्षेत्रवासियों को दीपावली, धनतेरस, गोवर्धन पूजा और भाईदूज की हार्दिक शुभकामनाएं

सुमित चौधरी की ओर से समस्त क्षेत्रवासियों को दीपावली, धनतेरस, गोवर्धन पूजा और भाईदूज की हार्दिक शुभकामनाएं

प्रधान कोमल देवी की ओर से सभी प्रदेशवासियों को दीपावली, धनतेरस, गोवर्धन पूजा और भैयादूज की हार्दिक शुभकामनाएं

प्रधान माला गुरुंग की ओर से सभी प्रदेशवासियों को दीपावली, धनतेरस, गोवर्धन पूजा और भैयादूज की हार्दिक शुभकामनाएं

K.J ज्वैलर्स की ओर से सभी क्षेत्रवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

K.J ज्वैलर्स की ओर से सभी क्षेत्रवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

श्री बालाजी पेट्रोल पंप की ओर से सभी क्षेत्रवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

अग्रवाल प्रॉपर्टीज की ओर से सभी देशवासियों व क्षेत्रवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

देहरादूनः उत्तराखंड में लंबे समय से भू कानून और मूलनिवास को लेकर लाखों लोग अलग अलग जिलों में मांग कर रहे हैं. वहीं इस बार उत्तराखंड के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा हैं कि किसी मुस्लिम संगठन द्वारा मूल निवास भू कानून रैली का खुलकर अपना समर्थन दिया हो.

गौरतलब है कि हाल ही में गठित उत्तराखंड मुस्लिम मंच (मूलनिवासियों) द्वारा 24 अक्टूबर को होने जा रही तांडव रैली को अपना समर्थन पत्र सौंपा गया है, उत्तराखंड मुस्लिम मंच के संस्थापक मैक खान द्वारा बताया गया कि लगभग 100 सालों से उत्तराखंड में रह रहे मुस्लिम लोगों की सभी सरकारों ने अनदेखी की है.

दूरस्थ क्षेत्रों में रह रहे मुस्लिम गांवों की समस्या ठीक उसी तरह है जैसे पहाड़ में रह रहे आम लोगों की समस्याएं हैं. पैदल पगडंडी से गुजरते हुए अपने घर तक पहुंचना और सुअरों और बंदरों के बीच खेती करना, गुलदार के अचानक हमले में जान गंवाने के डर होना ये सब एक आम पहाड़ी का जीवन है, पहाड़ में रह रहे मुस्लिम लोगों की पूजा पद्धति अलग हो सकती है, परंतु उनकी संस्कृति एक आम पहाड़ निवासी जैसी ही होती है.

ब्यो बाराती से लेकर अपने घोटायरे में मंडाण लगाने और दैवीय नाच में रम जाने वाले पहाड़ी लोगों का ये आम जीवन है, उत्तराखंड के लगभग हर जिले में पहाड़ी मुस्लिम लगभग 100 सालों से निवासरत हैं, राजनीति की जहरीली हवाओं ने इसे एक पहाड़ी को दूसरे पहाड़ी से जुदा कर दिया है, जो कई दशकों पहले सिर्फ इन वीरान पहाड़ों पर शांति की खोज में आए थे जो बिना किसी लड़ाई झगड़े के यहां अपनी जिंदगी चैन और सुकून से बिताना चाहते थे।

हालांकि कुछ अस्थाई लोगों के आगमन के बाद और राजनीति की जहरीली हवाओं ने उत्तराखंड की सियासत को एक नया रूप दे दिया है, थूक जिहाद जैसी नई जिहाद की उत्पत्ति होना उत्तराखंड में एक मुस्लिम के लिए कलंक साबित करने की कोशिश की जा रही है, ऐसे लोग जो यहां अस्थाई रूप से रह रहे हैं या कोई उनको राजनीतिक इस्तेमाल के लिए बाहर से इंपोर्ट कर लाया जा रहा हो? जैसे सवाल यहां रह रहे मूलनिवासी मुस्लिमों के जहन में तैर रहे हैं ।

उत्तराखंड मुस्लिम मंच (मूलनिवासी) उत्तराखंड के मुस्लिमों से आग्रह करता है कि आप अपने संगठन के साथ जुड़िए, किसी भी ऐसे संगठन से न जुड़ें जो किसी राजनीतिक पार्टी की बी- टीम बनकर आपका इस्तेमाल कर रहा हो, उत्तराखंड मुस्लिम मंच मूलनिवासी उत्तराखंड, गैर राजनीतिक दल है।

अपने उत्तराखंड के हितों के लिए हो रहे आंदोलन में हमारा किसी भी प्रकार के आंदोलन में सहयोग करना उतना ही आवश्यक है जितना उत्तराखंड को बनाने के लिए किया गया है .

हमें लगता है कि उत्तराखंड में मूलनिवास और भू कानून बनना हमारे उत्तराखंड के आम जनमानस के लिए अति हितकर साबित होगा।

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