देहरादून: यहां कब्रिस्तान की जमीन हड़पने के लगे आरोप, प्रशासन पर उठे सवाल

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सुमित चौधरी की ओर से समस्त क्षेत्रवासियों को दीपावली, धनतेरस, गोवर्धन पूजा और भाईदूज की हार्दिक शुभकामनाएं

प्रधान कोमल देवी की ओर से सभी प्रदेशवासियों को दीपावली, धनतेरस, गोवर्धन पूजा और भैयादूज की हार्दिक शुभकामनाएं

K.J ज्वैलर्स की ओर से सभी क्षेत्रवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

K.J ज्वैलर्स की ओर से सभी क्षेत्रवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

श्री बालाजी पेट्रोल पंप की ओर से सभी क्षेत्रवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

शादी विवाह,पार्टी, जन्मदिन समारोह व किसी भी प्रकार के प्रोग्राम के लिए चौधरी फॉर्म हाउस आपका स्वागत करता है

युवा मोर्चा मंडल अध्यक्ष शिवा रावत की ओर से सभी प्रदेशवासियों को उत्तराखंड स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

यशपाल नेगी व खेमलता नेगी की ओर से सभी प्रदेशवासियों को उत्तराखंड स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

युवा मोर्चा मंडल अध्यक्ष शिवा रावत की ओर से सभी प्रदेशवासियों को उत्तराखंड स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

देहरादून, उत्तराखंड में हुई प्रेस वार्ता का उद्देश्य प्रदेश की अस्थाई राजधानी देहरादून के कारगी ग्रांट मुस्लिम बस्ती स्थित विजिलेंस कार्यालय के समीप बस रही उत्तराखंड सचिवालय समिति के गोलमाल और जमीन हड़पने के मंसूबे को अमली जामा पहनाने के लिए कैसे अपने पदों का अनुचित उपयोग कर गैर सरकारी काम को सरकारी आदेश बनाकर और इसको परियोजना का नाम देकर, एक बड़े ज़मीन स्कैम को अंजाम दिया जा रहा है। इसकी जानकारी आपके माध्यम से जनता प्रशासन और सरकार की जानकारी में लाना है।
जैसा कि आप सम्मानित मीडिया बंधु जानते हैं कि देहरादून कारगी ग्रांट मुस्लिम बस्ती में कब्रिस्तान को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। इस पूरे संघर्ष समय में जो सच्चाई सामने निकल कर आई है आज वह मीडिया के सामने प्रस्तुत करना चाहते हैं आपसे हमें पूर्ण उम्मीद वह आशा है इस विश्वास के साथ कि आपका सम्मानित मीडिया हाउस इस सच्चाई को अपनी खबरों में जगह देगा।

विगत कुछ समय से चर्चाओं में आई उत्तराखंड सचिवालय समिति जो कि अपनी प्लाटिंग एरिया से हरिद्वार बाईपास तक एक सम्पर्क मार्ग के लिए सम्बंधित विभागों/विभाग सचिवों/मंत्री/विधायक तक से मांगी जानी शुरू हुई और इसके विरोध में वहां का एक स्थानीय नागरिक शिकायतकर्ता बन खड़ा हो गया जिसके बाद उसके साथ कई लोग जुड़े और उन्हें सिस्टम के क्रूर रूप का भी सामना भी इनको करना पड़ा।
महोदय, जब यह मामला माननीय न्यायालय की जद में पहुंचा तब से कई सच्चाईयां सामने निकल कर आई हैं। पहली बात यह कि जिस शासनादेश को एमडीडीए के अधिकारी व सचिवालय आवास समिती वाले त्रुटिपूर्ण या गलत साबित करने का निरंतर प्रयास कर रहे थे उस शासनादेश मा0 उच्च न्यायलय ने सही करार दिया, साथ ही सीमांकन व चिन्हिकरण के लिए भी हिदायत दी है। बावजूद इसके एमडीडीए व सचिवालय समिती के लोग आज भी लगातार किसी न किसी तरिके से सड़क बनाने पर आमादा है और राजस्व कछुवे की चाल चल रहा है और सीमांकन करने से लगातार बच रहा है लेकिन हमारा प्रयास निरंतर जारी है। सम्बंधित विभागों के अलावा अब हम वफ्फ बोर्ड से भी संपर्क में हैं। आज की इस प्रेस वार्ता का मुख्य कारण एक बड़ी सच्चाई को सामने लाना है
सचिवालय समिती वाले जिस सड़क यानि संपर्क मार्ग बनाये जाने हेतु मा0 मुख्यमंत्री जी की एक घोषणा जो क्रमशः 1700/2021 क्रमांक है जिसको इस सारे काम का आधार बताया जा रहा है। ज़ब इस घोषणा की हमने जानकारी मैंने हासिल कि तो पहली दृष्टि में ही ये बड़ा घालमेल प्रतीत होता है और शायद इसमें सीएम सहाब के नाम का गलत इस्तमाल किया जा रहा है ये निर्णय मैं आप लोगों पर छोड़ता हूं।
दरअसल, सीएम साहब की घोषणा को आधार बना कर एमडीडीए ने हरिद्वार बाईपास से सचिवालय आवास समिती तक एक संपर्क मार्ग का टेंडर पास किया जिसकी लागत 3 करोड़ से अधिक की है। लेकिन ज़ब हमने उस घोषणा को खोज़ा तो उसमे पाया कि न तो प्राधिकरण को कोई सीधा दिशा निर्देश दिया गया है और न ही सड़क बनाने सम्बन्धी कोई सपष्ट आदेश इसमें हैं बल्कि इस घोषणा को देखकर, तो संदेह पैदा होता है कि सीएम साहब के नाम की आड़ लेकर सचिवालय समिती वाले अपनी बिना सम्पर्क मार्ग वाली अवैध प्लॉटिंग को वैध करने में डटे हुए हैं और निश्चित ही इसमें इनका साथ कुछ भ्रष्ट सरकारी कर्मचारी अवश्यक दे रहे हैं।

चूंकि  प्रदीप पपने आदि की पहुँच सचिवालय के हर विभाग व अनुभागों में है और इनकी समिती के अधिकतर सदस्य सचिवालय के ही कर्मचारी है तो हो सकता है कि अपनी अवैध प्लॉटिंग को जिसमें कभी संपर्क मार्ग था ही नहीं उस पर सड़क लाने के लिए किसी कूट रचना को रचा गया हो या सीएम साहब को बिना पूरी जानकारी दिए इस तरह की एक गोलमाल घोषणा करवा ली गई हो क्योंकि यह घोषणा में जिस विभाग का जिक्र और जो दिशा निर्देश है वो आवास विभाग दर्शा रहे हैं जबकि उसके पास कारगी ग्रांट में भूमि है ही नहीं!! तो कैसे प्रदेश के मुखिया ऐसे विभाग के लिए घोषणा कर सकते हैं?
आवास विभाग कैसे मान्य हो सकता है इस घोषणा में यह भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि घोषणा असल में किसलिए की जा रही है ऐसे में सवाल पैदा होता है ज़ब शुरू से ही नगर निगम ने एमडीडीए को इस पूरे भू भाग का सर्वें सर्वा बनाया है तो फिर घोषणा में आवास विभाग का जिक्र क्यों?
2 जून 2016 को जारी सचिव उत्तराखंड के पत्र में साफ दर्शित है कि एमडीडीए के प्रबंध में जो भूभाग दिया गया है उसमें किसी भी तरह के विकास कार्यक्रम के लिए शासन से अनुमति लेनी होगी और द्वितीय पक्ष को शासन की बिना अनुमति के अंतरण नहीं किया जायेगा तो किस अधिकार से एमडीडीए ने पूरे भू भाग पर अवैध निर्माण होने दिए?
ज़ब सबको पता था कि कब्रिस्तान का मामला विवादित है तो कैसे सीएम साहब की घोषणा एक विवादित भूमि के लिए हो गई जबकि वो समाज की ज़मीन है? घोषणा के अनुसार आवास विभाग को ज़मीन हस्तांतरण कर सम्पर्क दिए जाने का कथन है!! तो क्या वहां आवास विभाग के पास पहले से कोई जमीन है, जिसे वह हस्तांतरित कर सकता था? घोषणा में संपर्क दिए जाने का जिक्र है अगर हम इसे संपर्क मार्ग भी मान लें तो जमीन हस्तांतरण कारवाई कब हुई कौन सी ज़मीन यानि रकबा आवास विभाग ने सचिवालय समिती वालों के संपर्क मार्ग के लिए एमडीडीए को दिया? जिसमें एमडीडीए कार्यदेही संस्था बन सड़क बनाने पर आमादा है?

1. बतौर मुख्यमंत्री कैसे इस तरह की घोषणा कैसे धामी जी विवादित भू भाग पर कोई घोषणा कर सकते हैं जिस ज़मीन पर कब्रिस्तान हो और उसपर लम्बे समय से विवाद चला आ रहा हो?

2. जिस घोषणा को आधार बना कर एमडीडीए ने सचिवालय आवास समिती के लिए सड़क का टेंडर पास किया। वह घोषणा तो “आवास विभाग” को हुई थी तो फिर एमडीडीए कैसे इस पर सड़क बनाने का अधिकारी हो गया?

3. जब हमेशा से प्राधिकरण यह कहता आ रहा है कि इस जमीन का मालिक मैं हूं तो सीएम साहब की घोषणा ‘आवास विभाग’ को क्यों गई?

4. घोषणा के अनुसार ‘आवास विभाग’ ने जमीन हस्तांतरित करनी थी जिसपर संपर्क मार्ग जाना था लेकिन ज़ब आवास विभाग की वहां कभी कोई जमीन ही नहीं है तो फिर यह घोषणा कैसे आवास विभाग के लिए बन गई क्या सीएम साहब का इंटेलीजेंस तंत्र इतना कमजोर है?

5. विवादित 546 रकबे में नज़ाकत नाम का आदमी जो नए मकान और दुकान निर्माण कर रहा है क्या एमडीडीए ने उसका नक्शा पास किया है जब वह रकबा विवादित है तो उसमें एमडीडीए निर्माण कैसे होने दे रहा है?

स्थानीय जनता की मांग है कि माननीय मुख्यमंत्री इस विषय में तुरंत संज्ञान ले और इस घोषणा की सत्यता सरकार जनता के सामने लाए और जो भी अधिकारी या कर्मचारी इस कृत्य में लिप्त है उन पर जांच बिठाई जाए और दोषियों पर इसके लिए कठोर सजा का प्रावधान किया जाए

प्रेस वार्ता में – मोहम्मद इस्लाम, गुलिस्ता ख़ानम, नाजिया, इनाम, अरशद आदि कई लोग उपस्थित रहे

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