जमीन की खरीद बिक्री से सम्बंधित धोखाधड़ी पर रोक लगाने के लिए कांग्रेस कार्यक्रता एकजुट, की ये मांग

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प्रधान कोमल देवी की ओर से सभी प्रदेशवासियों को दीपावली, धनतेरस, गोवर्धन पूजा और भैयादूज की हार्दिक शुभकामनाएं

K.J ज्वैलर्स की ओर से सभी क्षेत्रवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

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श्री बालाजी पेट्रोल पंप की ओर से सभी क्षेत्रवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

शादी विवाह,पार्टी, जन्मदिन समारोह व किसी भी प्रकार के प्रोग्राम के लिए चौधरी फॉर्म हाउस आपका स्वागत करता है

युवा मोर्चा मंडल अध्यक्ष शिवा रावत की ओर से सभी प्रदेशवासियों को उत्तराखंड स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

यशपाल नेगी व खेमलता नेगी की ओर से सभी प्रदेशवासियों को उत्तराखंड स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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देहरादूनः राज्य भर में जमीन की खरीद बिक्री से सम्बंधित धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के दृष्टिगत और जनभावनाओं के अनुरूप भूमि की अनियंत्रित खरीद फरोख्त को रोकने की मांग करते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने महानगर अध्यक्ष डॉ जसविन्दर सिंह गोगी के नेतृत्व में उत्तराखंड में एक कड़े भूकानून की मांग की है। जिलाधिकारी के माध्यम से इस संबंध में राज्यपाल को एक ज्ञापन भी प्रेषित किया गया।

डॉ जसविन्दर सिंह गोगी के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन में मांग की कि उत्तराखंड में जमीनों की अनियंत्रित खरीद फरोख्त को कड़ाई से विनियमित करने की आवश्यकता है। इस सन्दर्भ में एक कड़ा कानून तत्काल बनाने की आवश्यकता है। पर्वतीय क्षेत्र की, विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्रों की भूमि का सौंदर्यबोधक महत्व होता है। अतः बड़ी संख्या में लोग इसे खरीदना चाहते हैं। कश्मीर एवं लद्दाख क्षेत्र में पहले जमीनों की खरीद संभव नहीं थी, अब भी व्यावहारिक कारणों से वहां जमीनें खरीदना दूसरे प्रान्त के लोगों के लिए संभव नहीं है।

पूरे उत्तरपूर्व भारत के पर्वतीय राज्यों को धारा 371 के माध्यम से संरक्षण है अतः वहां भी जमीनों की खरीद फरोख्त संभव नहीं है। पड़ोसी राज्य हिमाचल में पहले ही एक कड़ा भू कानून लागू है, जिसके कारण गैर निवासी वहाँ भूमि नहीं खरीद सकते और न ही हिमाचल के शहरी क्षेत्र के निवासी ग्रामीण भूमि को खरीद सकते हैं। ऐसी स्थिति में समस्त हिमालयी राज्यों में केवल उत्तराखंड राज्य ही एक विकल्प बचता है जहां आसानी से जमीनें खरीदी जा सकती हैं। भू कानून के पक्ष में यह भी तर्क दिया गया कि उत्तराखंड राज्य का अपना विशिष्ट और शानदार सांस्कृतिक भूदृश्य है।

इसे अक्षुण्ण रखने की हम सबकी जिम्मेदारी है। विरल जनसंख्या घनत्व, बड़े क्षेत्र में वन भूमि के होने, तथा सीमित कृषि भूमि तथा आवासीय भूमि उपलब्ध होने के कारण राज्य में भूमि के क्रय विक्रय को कड़ाई से नियंत्रित करने की आवश्यकता है। उपस्थित कार्यकारियों तथा पदाधिकारियों ने मांग की कि संस्कृति का जन्म भूमि से ही होता है; अतः बिना भूमि को संरक्षित किये, हम अपनी विशिष्ट संस्कृति को भी नहीं सहेज पाएंगे। कांग्रेस सरकार द्वारा ही सबसे पहले गैर निवासियों के लिए भूमि खरीद को विनियमित किया गया था लेकिन 2018 में गैर निवासियों द्वारा भूमि खरीद के प्रतिबन्धों में शिथिलीकरण किया गया।

कार्यकर्ताओं ने मांग की कि शिथिलीकरण का दुरुपयोग करके जो भी खरीद फरोख्त हुई हैं, उन्हें रद्द किया जाए। इसके अतिरिक्त अंधाधुंध खरीद के कारण हाल के समय में जगह-जगह कई अवांछित तत्वों के द्वारा रिसॉर्ट्स का निर्माण भी किया गया है जिनकी संदिग्ध और अनुचित गतिविधियों के कारण स्थानीय लोगों को बड़ी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। ज्ञापन में मांग की गई कि जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य के निवासियों के अतिरिक्त अन्य लोगों के लिए कड़े प्राविधानों के साथ भूमि की खरीद बिक्री को निषिद्ध करने वाला कानून तत्काल लागू किया जाए।

इस मौके पर प्रदेश उपाध्यक्ष पूरन सिंह रावत, प्रदेश महासचिव मनीष नागपाल, नवीन जोशी, डाॅ0 प्रतिमा सिंह, आशा टम्टा, अभिषेक तिवारी, राजेश पुण्डिर, डाॅ0 अरूण रतूडी, पार्षद मुकेश सोनकर, इलियास अंसारी, सईद अहमद जमाल, संजय गौतम, गगन छाछर, गौरव वर्मा, विरेन्द्र पंवार, नितिन चंचल, शकील मंसूरी, मनीष गर्ग, नरेश बंगवाल, संदीप जैन, मनीष कुमार, अशोक कुमार, नवाब सुरेश आर्य, विनय कुमार, विजेन्द्र चैहान, रणजीत सिंह, प्रवीन कुमार आदि उपस्थित रहे।

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